Connect with us

वन विभाग के गेस्ट हाउस के आधुनिकीकरण पर दिया जाए विशेष ध्यान-मुख्यमंत्री

उत्तराखंड

वन विभाग के गेस्ट हाउस के आधुनिकीकरण पर दिया जाए विशेष ध्यान-मुख्यमंत्री

देहरादून: वनों के संरक्षण के साथ वन सम्पदाओं से राजस्व वृद्धि के लिए और प्रभावी प्रयास किये जाएं। वन विभाग के गेस्ट हाउस के आधुनिकीकरण पर विशेष ध्यान दिया जाए। जड़ी-बूटियों, कृषिकरण तथा विपणन के क्षेत्र में कार्य के लिए और अधिक संभवनाएं तलाशी जाए।

मानव वन्यजीव संघर्ष को कम करने के लिए कारगर उपाय किए जाएं। वनाग्नि प्रबंधन, जैव विविधता संरक्षण एवं ईको -टूरिज्म पर विशेष ध्यान दिया जाए। ये निर्देश मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने मंगलवार को सचिवालय में वन विभाग की गेम चेंजर योजनाओं की समीक्षा के दौरान अधिकारियों को दिये।

मुख्यमंत्री ने कहा कि वन सम्पदाओं का बेहतर उपयोग के साथ ही प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजागार को बढ़ावा दिया जाए। ग्रीष्मकाल के दृष्टिगत वनाग्नि की रोकथाम के लिए प्रभावी कार्ययोजना के साथ रणनीति बनाई जाए, ताकि वनाग्नि से होने वाले नुकसान से बचा जा सके।

यह सुनिश्चित किया जाए कि ऐसे प्रयास केवल कागजों तक सीमित न रहे, धरातल पर दिखाई दें। मानव वन्यजीव संघर्ष की घटनाओं को रोकने के लिए अन्य राज्यों की बेस्ट प्रैक्टिस का अध्ययन किया जाए और राज्य में इसके लिए बेहतर कार्य योजना बनाई जाए।

यह भी पढ़ें 👉  उत्तरकाशी से पिथौरागढ़ तक गिर सकते हैं ओले, 80 की स्‍पीड से आंधी का अलर्ट

बैठक में जानकारी दी गई कि इको टूरिज्म के अंतर्गत इको कैंपिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर का विकास, पुराने फॉरेस्ट रेस्ट हाउस के रिस्टोर, स्थानीय युवाओं को विभिन्न गतिविधियों जैसे नेचर गाइड का प्रशिक्षण और क्षमता विकास कार्यक्रमों पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। इको टूरिज्म के लिए समर्पित एक वेबसाइट बनाई जाएगी।

अभी तक विभिन्न क्षेत्रों में संचालित इको टूरिज्म क्षेत्र से स्थानीय युवाओं को लगभग रुपए 5 करोड़, जिप्सी संचालन से 17 करोड़ और स्वयं सहायता समूह को 30 लाख की आय सृजित हुई है।

ऊर्जा विभाग की समीक्षा के दौरान भी मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि राज्य में ऊर्जा उत्पादन बढ़ाने की दिशा में तेजी से कार्य किये जाएं। लघु जल विद्युत परियोजनाओं पर विशेष ध्यान दिया जाए। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड राज्य की मुख्य अवधारणा में ऊर्जा और पर्यटन प्रदेश था। पर्यटन के क्षेत्र में राज्य में तेजी से कार्य हो रहे हैं, लेकिन ऊर्जा के क्षेत्र में अनेक संभावनाओं पर कार्य करने की जरूरत है।

यह भी पढ़ें 👉  जिलाधिकारी ने विकास भवन समीप स्थित ऑडिटोरियम का किया निरीक्षण, गुणवत्तापूर्ण कार्य के दिए निर्देश

उन्होंने कहा कि ऊर्जा के क्षेत्र में राज्य की क्षमताओं के हिसाब से कार्य करने की जरूरत है। शहरी क्षेत्रों में पावर लाइन के अंडरग्राउडिंग का कार्य वर्षाकाल शुरू होने से पहले पूर्ण किया जाए। सरकारी भवनों में सोलर रूफ टॉप से आच्छादित करने का कार्य जल्द पूर्ण किया जाए। यूजेवीएनएल, यूपीसीएल की जो परिसम्पतियां उपयोग में नहीं हैं, उनको उपयोग में लाने के लिए प्रभावी कार्य योजना बनाई जाए। नवीकरणीय ऊर्जा संवर्धन योजना, विद्युत वितरण सुधार योजना और स्मार्ट मीटर की योजनाओं में तेजी लाने के निर्देश मुख्यमंत्री ने दिये।

बैठक में जानकारी दी गई कि 2023 में संशोधित जल विद्युत नीति के अनुसार वन टाइम एमनेस्टी के तहत कुल 160.80 मेगावाट के 8 प्रॉजेक्ट को मंजूरी दी गई हैं। ये प्रॉजेक्ट 2030 तक 1790 करोड़ की लागत से पूरे होंगे। इसके साथ ही 121 मेगावाट के 6 प्रोजेक्ट्स को मंजूरी मिली है। इस नीति से क्षेत्र का सामाजिक आर्थिक विकास होगा। यूजीवीएनएल 2028 से 03 पंप स्टोरेज का कार्य शुरू कर 2031 में पूरा करेगा। लगभग 5660 करोड़ की लागत इन तीनों पंप स्टोरेज में इच्छारी , लखवार-व्यासी और व्यासी-कटापत्थर प्रोजेक्ट शामिल हैं।

यह भी पढ़ें 👉  1232 नर्सिंग अधिकारियों को मुख्यमंत्री ने प्रदान किये नियुक्ति पत्र

बैठक में वन मंत्री श्री सुबोध उनियाल, अवस्थापना अनुश्रवण परिषद के उपाध्यक्ष श्री विश्वास डाबर, मुख्य सचिव श्री आनन्द बर्द्धन, प्रमुख सचिव श्री आर.के सुधांशु, श्री आर.मीनाक्षी सुंदरम, प्रमुख वन संरक्षक डॉ. धनंजय मोहन, अपर सचिव श्रीमती रंजना राजगुरु, उत्तराखण्ड जल विद्युत निगम के प्रबंध निदेशक श्री संदीप सिंघल, यूपीसीएल के प्रबंध निदेशक श्री अनिल कुमार, पिटकुल के प्रबंध निदेशक श्री पी.सी.ध्यानी और संबंधित अधिकारी उपस्थित थे।

Continue Reading
Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

More in उत्तराखंड

उत्तराखंड

उत्तराखंड

ट्रेंडिंग खबरें

To Top